Sunday 16 February 2014

Ishq...

अजीब शै है .. हर बार नया लगता है
इश्क़ जब भी होता है पहला लगता है

जाना पहचाना अहसास-ओ-अंदाज़ यूं तो
पर कुछ है जो मुख्तलिफ जुदा लगता है

बावज़ूद मन्नतों मिन्नतों के मानता नहीं
शायद इसलिए महबूब .. खुदा लगता है

मसरूफीयात तजुर्बात ने बेदर्द बना दिया
पर दिल टूटे किसी का .. बुरा लगता है

कुछ तो रिश्ता इस लफ्ज़-ए-मोहब्बत से
क्यों हर आशिक़ मुझे मुझसा लगता है

हां हमें भी है प्यार तुझसे थोड़ा सा
इतना कह देने में तेरा क्या लगता है

लम्हा बहुत .. राह-ए-उल्फत में फिसलने को
पर सँभलने में मेरी जान .. ज़माना लगता है

बातें घिसी-पिटी पुरानी सुनी सुनाई सी
पर शे’र ‘अमित’ का अच्छा लगता है ...Amit Harsh
Do listen to the one minute recording in my voice attached with this...

अजीब शै है .. हर बार नया लगता है इश्क़ जब भी होता है पहला लगता है जाना पहचाना अहसास-ओ-अंदाज़ यूं तो पर कुछ है जो मुख्तलिफ जुदा लगता है बावज़ूद म...

1 comment:

  1. Shayari. Kisika bhi ho hamare baare me hi likhasa lagta hai!!!!!!Thanks for sharing dear PP!!!!!

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