Thursday 29 May 2014

प्यारे पापा...Dear Dad...

प्यारे पापा,
आपको समर्पित
सिर्फ एक दिन ?
हमारे रगों में दौड़ती
गर्म लकीरों कि उम्र
सिर्फ एक दिन ?
क्यों नहीं होता वर्ष में
एक बार, सुबह-शाम
या रात और दिन ?
यह प्रकाश पुँज आपका,
जो, मुझमें दिखता है
कैसे संभव है आप बिन ?
पापा,
मैं इस एक दिवसीय
आपके दिवस का सादर बहिष्कार करता हूँ
दरअसल मैं आपको हर क्षण याद करता हूँ
आपको समर्पित करने को
दिन,सप्ताह, पखवाड़ा,
माह, ऋतु व वर्ष
कुछ भी पर्याप्त नहीं
अपितु यह जीवन भी थोड़ा है
क्योकि..
आप प्रकॄति का प्रकाश
मेरे यात्रा का उल्लास
हर दिन हर पल का
एक अमिट अहसास हो.

प्यारे पापा,
मेरा हर दिवस,
आपसे, आपका दिवस है, बस आपका, सिर्फ आपका दिवस.
Brajesh Kumar Mishra
https://soundcloud.com/pendyala-pradeep/brajesh-kumar-mishra

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