Saturday 28 December 2013

Shayree...

ग़म हो, हम हो, तन्हाई हो
~ तो शायरी होती है ~

हुस्न हो, अदा हो, अंगडाई हो
~ तो शायरी होती है ~

ख्यालात हो, जज़्बात हो, गहराई हो
~ तो शायरी होती है ~

इश्क हो, मोहब्बत हो, आशनाई हो
~ तो शायरी होती है ~

तसव्वुर हो, त’अश्शुक हो, तन्हाई हो
~ तो शायरी होती है ~

सुर हो, सुरा हो, सुराही हो
~ तो शायरी होती है ~

फ़स्ल हो, वस्ल हो, जुदाई हो
~ तो शायरी होती है ~

फरेब हो, धोखा हो, बेवफाई हो
~ तो शायरी होती है ~

ज़िक्र हो, चर्चा हो, रुसवाई हो
~ तो शायरी होती है ~

भूख हो, ग़ुरबत हो, महंगाई हो
~ तो शायरी होती है ~

कागज़ हो, क़लम हो, रोशनाई हो
~ तो शायरी होती है ~

रात हो, याद हो, नींद न आई हो
~ तो शायरी होती है ~

रुठना-मनाना, मीठी सी लड़ाई हो
~ तो शायरी होती है ~

मौसम आशिक़ाना, रुत हसीं छाई हो
~ तो शायरी होती है ~

बहार में कहीं कोई कली मुस्कुराई हो
~ तो शायरी होती है ~

भूले से किसी की याद चली आई हो
~ तो शायरी होती है ~

संग सितारों के चांदनी उतर आई हो
~ तो शायरी होती है ~

खुला आकाश, छत हो, चारपाई हो
~ तो शायरी होती है ~

जग अपना या फिर हर शै पराई हो
~ तो शायरी होती है ~

न फैसला, न इंसाफ, न सुनवाई हो
~ तो शायरी होती है ~

कंप्यूटर हो, मोबाइल हो, Wi-Fi हो
~ तो शायरी होती है ~

महफ़िल हो, सामिअ हो, वाहवाही हो
~ तो शायरी होती है ~

जानते है सब, पर न किसी ने बताई हो
~ तो शायरी होती है ~

दिल दिलदार, पर पास न एक पाई हो
~ तो शायरी होती है ~

गैरों से मरहम, चोट अपनों से खाई हो
~ तो शायरी होती है ~

मुखालिफ़ हवाओं के शमां जलाई हो
~ तो शायरी होती है ~

लगा के बाज़ी दिल की किस्मत आजमाई हो
~ तो शायरी होती है ~

सनम बेवफा, बलम हरजाई हो
~ तो शायरी होती है ~

जुबां पे झूठ पर दिल में सच्चाई हो
~ तो शायरी होती है ~

दुःख में सुख और कोई सुख दुखदायी हो
~ तो शायरी होती है ~

हारकर खुद किसी को बाज़ी जिताई हो
~ तो शायरी होती है ~

फ़क़त रहने को जिंदा तमाम उम्र गंवाई हो
~ तो शायरी होती है ~

एक रोज़ मरने केलिए सारी जिंदगी बिताई हो
~ तो शायरी होती है ~

मुस्तकिल मुद्दों के मुख्तलिफ बात उठाई हो
~ तो शायरी होती है ~Amit Harsh.
https://soundcloud.com/pendyala-pradeep/shaayre
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